कैंसर क्या है? (Cancer kya hai?)
इस बारे में अक्सर लोग जानने के लिए व्याकुल रहते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें हमारे शरीर में बहुत-सी सेल्स रोज़ाना बनती है और अलग-अलग विभाजित होती है लेकिन अगर वो एक ही जगह इकठ्ठी होने लगे तो क्या होता है? क्या आप इस
बारे में जानते हैं? यह कैंसर का रूप ले लेती है और आप इस बात से तो रूबरू होंगे कि कैंसर कितनी खतरनाक बीमारी है। आज के इस लेख में आपको कैंसर से जुड़ी जानकारी विस्तार दी जाएगी।
विस्तार से जाने कैंसर क्या है? (What is cancer in hindi)
एक मनुष्य के शरीर में निरंतर रूप से सेल्स के विभाजन की प्रक्रिया सामान्य है। इस प्रक्रिया पर हमारे शरीर का पूरा नियंत्रण रहता है। कैंसर की परिभाषा (कैंसर definition) की बात करें तो यह किसी भी कारण शरीर के किसी भी विशेष अंग में सेल्स का बेहिसाब बढ़ना और शरीर उस पर अपना नियंत्रण खोने लगे तो उस प्रक्रिया को कैंसर कहा जाता है। कई बार कुछ ट्यूमर वक़्त के साथ कैंसर का रूप ले लेते हैं। कैंसर में दो प्रकार के ट्यूमर होते हैं, जिनको बिनाइन और मालिग्रैंट कहा जाता है। बिनाइन ट्यूमर शरीर में नहीं फैलता है, वहीं मालिग्रैंट ट्यूमर शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में फ़ैलने लगता है।
कैंसर की शुरुआत कैसे होती है? (How does cancer start in Hindi)
कैंसर (कैंसर इन हिंदी) होने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन यह जेनेटिक बदलाव से भी हो सकता है। सेल्स को हिंदी में कोशिका कहा जाता है। जब यह कोशिका जीन में बदलने लगती है तब (cancer kaise failta hai) कैंसर की शुरुआत होती है। ऐसा नहीं है कि कोशिका के जीन में किसी खास कारण की वजह से बदलने लगती है। यह बदलाव अपने आप होने लगता है या फिर कुछ बाहरी कारण भी हो सकते हैं। जैसे-
- तंबाकू
- गुटका
- धूम्रपान
- वायरस
- रेडिएशन (एक्स-रे, गामा रेज)
- अल्ट्रावाइलेट रे
- तनाव
- कम फाइबर युक्त भोजन
वैसे तो इम्यून सिस्टम इस बीमारी की सेल्स को खत्म कर देता है लेकिन कई बार बेहिसाब सेल्स के बढ़ने से इम्यून सिस्टम इस प्रक्रिया को झेल नहीं पाता, तब शरीर इस बीमारी की चपेट में आने लगता है। अगर आपको कैंसर के बारे में शुरुआती चरण में पता लग जाता है तो कैंसर का इलाज संभव है।
कोरोना का इलाज शायद आने वाले समय में मुमकिन हो सकता है लेकिन कैंसर अभी भी लाइलाज बिमारियों में शामिल है। जैसे-जैसे शरीर में कैंसर सेल बढ़ने लगते है, वैसे-वैसे ही एक प्रकार की गांठ उभर के आने लगती है जिसे ट्यूमर (कैंसर disease) कहा जाता है। अगर कैंसर का शुरुआत में पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है। मगर इसका उपचार समय से ना मिलने के कारण यह कैंसर बीमारी पूरे शरीर में फ़ैलने लगती है। जिस कारण मरीज़ की जान बचा पाना असंभव हो जाता है।
कैंसर के कितने प्रकार है? (Types of Cancer in Hindi)
शोधकर्ताओं की माने तो कैंसर के 200 से भी ज्यादा प्रकार होते हैं। यहीं कारण है कि कैंसर के लक्षण भी उनके प्रकार के हिसाब से अलग-अलग होते हैं। इस ब्लॉग में आपको उन कैंसर के बारे (types of कैंसर) में बताएंगे जो लोगों को तेज़ी से अपना शिकार बनता है। सबसे पहला है-
- ब्लड कैंसर -जैसा आप भी जानते हैं कि खून हमारे शरीर में हर समय संचार करता है और यदि आपके खून में कैंसर (blood cancer symptoms in hindi) उत्पन्न हो जाता है तो बहुत तेज़ी से शरीर में फ़ैलने लगता है। व्यक्ति के शरीर में ब्लड सेल में कैंसर पैदा होने लगता है, जिससे शरीर में खून की कमी होने लगती है।
- ब्रैस्ट कैंसर -ब्रैस्ट कैंसर को स्तन कैंसर भी कहा जाता है। यह आपको नाम से ही पता चल गया होगा कि यह कैंसर महिलाओं में अधिक देखा जाता है। इसका मतलब यह नहीं की यह पुरुषों को नहीं हो सकता है। इस कैंसर से ग्रस्त औरतों के स्तन में गांठ (Breast cancer symptoms in hindi) बनने लगती है जो समय के साथ बढ़ने लगती है। इससे बचाव के लिए महिलाओं को नियमति रूप से डॉक्टर से अपने स्तन की जांच करवाते रहना चाहिए, जिससे ब्रैस्ट कैंसर का लक्षण दिखाई देने पर तुरंत इलाज शुरू किया जा सकें।
- स्किन कैंसर -स्किन यानि चर्म कैंसर (स्किन कैंसर explain in hindi) के केस दुनिया मेंकाफी तेज़ी से बढ़ते नज़र आ रहे हैं। विशेषज्ञों के माने तो यह बहुत ज्यादा गर्मी में रहने, भोजन न करने और थोड़ी से भी शरीरिक गतिविधि न करने के कारण होता है।
- ब्रेन कैंसरब्रेन कैंसर को ब्रेन ट्यूमर के नाम से भी जाना जाता है और यह दिमाग की किसी भी भाग में हो सकता है। दिमाग के किसी भी हिस्से में गांठ बनने लगती है और समय के साथ बढ़ने और फ़ैलने लगती है।
- लंग्स कैंसर -लंग्स कैंसर को फेफड़ों का कैंसर (lungs कैंसर) भी कहा जाता है। सबसे ज्यादा लंग्स कैंसर का ख़तरा धूम्रपान करने वालों को रहता है। यह कैंसर बहुत ही दर्दनायक होता है। मरीज़ को साँस लेने में तकलीफ़ होती है साथ ही बलगम जमने लगता है। हड्डियों व जोड़ो में बेहद दर्द रहने लगता है और भूख लगना भी बंद हो जाती है। जिस वजह से शरीर में कमजोरी आने लगती है और हर समय थकान महसूस होने लगती है। फेफड़े का कैंसर (lungs cancer in hindi) से बचाव करने के लिए धूम्रपान का सेवन बंद कर दें।
- कार्सिनोमा कैंसर -सारकोमा कैंसर-यह संयोजी टिश्यू (connective tissue) में होने वाला मालिग्नैंट कैंसर होता है। संयोजी टिश्यूजो शरीर के अलग-अलग हिस्सों को एक-दूसरे से जोड़ने के काम करने मदद करते हैं।
- ल्यूकेमिया कैंसर -यह ब्लड यानि खून में होने वाला कैंसर है। जब खून में अनियंत्रित रूप से सफेद ब्लड सेल्स बनने लगते हैं तब इस कैंसर की शुरुआत हो जाती है। ल्यूकेमिया के मुख्य प्रकारों में लिम्फोसाइटिक (lymphocytic) और माइलॉइड (myeloid leukemia) शामिल है जो एक्युट और क्रोनिक होते हैं।
- लिवर कैंसर -लिवर कैंसर को लिवर ट्यूमर भी कहा जाता है। इस कैंसर की पहचान शुरुआत में कम ही हो पाती है। लेकिन अगर आप अपने लक्षणों पर ध्यान दें तो शायद समय से इस बीमारी के बारे में पता लगा सकते हैं। लिवर कैंसर होने पर सूजन, कमज़ोरी, भूख में कमी, पीलिया, और पेट के ऊपरी भाग में परेशानी रहना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
- बच्चेदानी का कैंसर -यह कैंसर महिला के गर्भाश्य (cervical कैंसर) के अंदर होता है, जिस कारण जान जाने का ख़तरा बना रहता है। इस ट्यूमर के लक्षण के बारे में बात करें तो आपको ब्लीडिंग हो सकती है। अगर आपको पीरियड्स के सिवा भी अचानक से ब्लीडिंग होती है (symptoms of cervical cancer in hindi) तो यह कैंसर का लक्षण हो सकता है। शुरुआती लक्षण में आपको पेल्विक यानी पेड़ू में बेहद ज्यादा दर्द महसूस हो सकता है जो असहनीय होगा।
- हड्डियों का कैंसर –हड्डियों के कैंसर को ओस्टियोसारकोमा भी कहा जाता है। इसमें हड्डियों के भीतर की कोशिकाएं अनियंत्रित तरके से विभाजित होती हैं। जिससे शरीर में गांठ या हड्डियों की बाहरी सतह पर ट्यूमर बनने लगता है।
कैंसर के लक्षण (Cancer Symptoms in Hindi )
- कमजोरी महसूस करना
- थकान महसूस करना
- भूख न लगना
- खाना निगलने में दिक्कत होना
- कब्ज़ की शिकायत होना
- लगातर खांसी रहना
- बार-बार बुखार आना
- स्किन पर नीले निशान पड़ना
- स्किन पर गांठ बनना
- मांसपेशियों में दर्द रहना
- जोड़ों में दर्द
- इन्फेक्शन बार-बार होना
कैंसर के चरण (stages of cancer)
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के हिसाब से कैंसर के चार चरण होते हैं। जिनके बारे में हम विस्तार से इस लेख में जानेंगे।
स्टेज 1
इस चरण में असामान्य सेल कैंसरस का रूप ले लेती है। इसे प्राइमरी कैंसर भी कहा जाता है। स्टेज 1 में ट्यूमर छोटा होता है जिस वजह से वह शरीर में नहीं फैलता है।
स्टेज 2
इस स्टेज में कैंसर सेल्स बढ़ने लगती है लेकिन कैंसर शरीर में फैलता नहीं है। मगर धीरे-धीरे कैंसर गंभीर होने लगता है।
स्टेज 3
इस स्टेज में कैंसर बड़ा होने लग जाता है और आस-पास के सेल्स और टिश्यू को तक फैलने लगता है।
स्टेज 4
यह कैंसर का लास्ट स्टेज है जिसमें कैंसर पूरे शरीर में फैल चूका होता है। यह खतरानाक होने के साथ-साथ मरीज़ के लिए जानलेवा भी है। इस स्टेज में कैंसर शरीर के बाकी अंगों तक फैलने लगता है। कैंसर की लास्ट स्टेज के लक्षण दिखाई देने पर आपको केमो थेरेपी का ही सहारा लेना पड़ता है।
कैंसर के टेस्ट- (Diagnosis For Cancer In Hindi)
अगर आपके घर में किसी को कैंसर रहा हो तो आपको एक बार अपनी जाँच ज़रूर करवानी चाहिए। कैंसर की जांच के लिए आप कुछ टेस्ट करवा सकते हैं। जैसे-
- सीबीसी और डब्लूबीसी-इस टेस्ट में कैंसर की पूरी जानकारी तो नहीं मिल पाती लेकिन यह टेस्ट आपका मार्गदर्शन करता है। डब्लूबीसी यानि वाइट ब्लड सेल्स हमारे शरीर को बिमारियों से बचाने का काम करते हैं लेकिन यह 4 हज़ार से 11 हज़ार से अधिक होने लगे तो यह मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
- सीटी स्कैन और एमआरआई- सही और स्पष्ट सीबीसी के बाद भी अगर डॉक्टर को मरीज़ की हालत समझ नहीं आती है, तब उसे सीटी स्कैन और एमआरआई करवाने की सलाह दी जाती है। साथ ही एक्स-रे, बेरियममीलस्टडी, बोन डेंसिटीस्कैन, पीईटी स्कैन,एसपीईसीटी स्कैन और यूएएसजी स्कैन से भी कैंसर के बारे में पता लगाया जा सकता है।
- हीमोग्लोबिन टेस्ट- शरीर में ऑक्सीजन को बैलेंस करने वाले कारक को हीमोग्लोबिन कहा जाता है। 60 से ज्यादा आयु वालों के शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा 10 से नीचे नहीं होनी चाहिए। 60 से कम आयु वाले पुरुष में 14 से 17 और महिलाओं में 12 से 15 के बीच हीमोग्लोबिन होना चाहिए। अगर टेस्ट के दौरान आपका हीमोग्लोबिन कम आता है तो कैंसर होने का ख़तरा बढ़ जाता है। आप तुरंत ही डॉक्टर से सम्पर्क करें।
- बायोप्सी- इस टेस्ट की मदद से कैंसर की संभावना को पक्के रूप से पता लगाया जा सकता है। बायोप्सी के टेस्ट में मरीज़ के शरीर से एक सैंपल लिया जाता है। वैसे तो वह एक ट्यूमर हो सकता है लेकिन सैंपल इस बात को कन्फर्म करता है कि ट्यूमर में जो सेल्स हैं वह कैंसर की हैं या नहीं?
वैसे कैंसर एक ऐसा खतरनाक रोग है, जो हमारे शरीर में धीरे-धीरे पनपता है और समय के साथ बढ़ने लगता है। जिस वजह से यह एक भयंकर रुप ले लेता है। मगर समय पर इसके लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो इसे फ़ैलने से रोका जा सकता है।
कैंसर की बीमारी में क्या खाना चाहिए? (Cancer mein kya khana chahiye?)
कैंसर की बीमारी में एक अच्छी डाइट लेना बहुत ज़रूरी है, जिससे आपके अंदर सही मात्रा में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स जाए। कैंसर में अलग- अलग लक्षण होने के कारण मरीज़ को अपनी डाइट (कैंसर diet) का ख़ास ख्याल रखना चाहिए। आप कैसे अपने लक्षणों को ध्यान में रखते हुए अपनी डाइट में सुधार कर सकते हैं-
- उल्टी होने पर -आप अपने खाने में कम वसा वाले पदार्थ का सेवन करें, जैसे- मसले हुए आलू, कुकीज, कस्टर्ड आदि। आप कोशिश करें की दिन के समय ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन कर सकें। भोजनशांत वातावरण में करें।
- गले में खराश -भोजन करते समय कमरे का तापमान सामान्य रखें और मसले हुए आलू, मसला हुआ चावलआदि का ही सेवन करें। कैंसर की बीमारी में मसालेदार, नमकीन, कार्बोनेटड पेय, जूस, खासतौर पर खट्टे, ठन्डे और गर्म पदार्थ के सेवन से बचें।
- भूख कम लगना -यदि आपको भूख कम लग रही है तो आप भोजन को विभाजित कर दीजिए अर्थात् आप भोजन को 3 बार की जगाह 6 बार में खाए। आप एक बार में थोड़ा ही खाए और इस बात का ध्यान भी रखें कि भोजन दिखने में आकर्षक हो और स्वाद में स्वादिष्ट हो। जिससे मरीज़ का खाना खाने का मन करें,साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि भोजन में पोष्टिक तत्व हो।
- जल्दी पेट भर जाना -आप मांस, अंडा, दूध, पनीर, क्रीम,चीज, दही, क्रीमी सूप, मलाईवाली सब्जी, मीठी चीज़े आदि का सेवन करें क्योंकि यह कैलोरी से युक्त होती है। वहीअगरआप कैंसर में दूध का सेवन करते हैं तो कम वसा वाले दूध या बिना वसा वाले दूध का ही सेवन कीजिए।
- टेस्ट न आना -अच्छे स्वाद वाले चीजों को अपनी डाइट में शामिल कीजिए। खुशबूदार मसलों का इस्तेमाल करें जैसे- इलायची, लौंग, अदरक आदि। यह आपके भोजन को स्वादिष्ट बनाने के साथ-साथ अच्छी खुशबू का भी काम करेंगे। प्लेन मीट, अनसाल्टेडफ़ूड, ब्लैंड फ़ूड के सेवन से बचें।
- डायरिया -अपनी बॉडी को जितना ज्यादा हो सकें उतना हाइड्रेट रखें। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन कीजिए। अपने भोजन में ज्यादा से ज्यादा फाइबर का इस्तेमाल कीजिए और ध्यान रखें कि गैस बनने वाले पदार्थ जैसे बैंगन, मटर, पत्ता गोभी, दाल, प्याज आदि के सेवन से बचें।
- कब्ज़ -अपनेआहार में फाइबर, साबूत अनाज, सूखे फल को जोड़े। साथ ही व्यायाम करना भी फायदेमंद होगा। गैस बनाने वाले भोजन के सेवन से बचें।
- खाना निगलने में दिक्कत होना -हर थोड़ी देर मेंछोटे-छोटे आहार लें और तरल पदार्थ का अधिक सेवन करें। कोशिश करें कि आप अपनी डाइट सॉफ्ट रखें जिससे आपको खाना निगलने की दिक्कत से राहत मिल सकें।
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कैंसर का घरेलू इलाज (cancer ka gharelu upchar)
कैंसर को बढ़ने से रुकने के लिए आप कुछ घरेलु नुस्खें (cancer se bachne ke liye upay in hindi) अपना सकते हैं। लेकिन यह कैंसर के शुरुआती चरण में ही कारगर होंगे। बढ़ते कैंसर को रोकने के लिए आप डॉक्टर से परामर्श लें। आप आपनी डाइट में एंटी-ऑक्सडेंट (कैंसर ka gharelu ilaj) वाले फल-सब्जियों को शामिल करना चाहिए। जैसे ब्रोकली, टमाटर, अदरक, हल्दी, आदि। कैंसर में तुलसी का बीज का सेवन बहुत फायदेमंद रहता है। आप कैंसर में गिलोय का उपयोग भी कर सकते हैं, यह आपके हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद रहेगा। साथ ही आप अपनी दिनचर्या में योग को शामिल करें।
अगर बात की जाए कि कैंसर के मरीज़ को क्या नहीं खाना चाहिए या कैंसर में परहेज करने की बात हो, तो कैंसर में दूध का सेवन करना हानिकारक है। आप योग से कैंसर का इलाज कर सकते हैं।
पेशेंट टेस्टीमोनियल (Patient testimonial)
मेरा नाम नेहा है और स्टार होम केयर की बहुत बड़ी आभारी हूँ। मुझे कुछ समय पहले कैंसर की बीमारी निकली जो आभी शुरुआती स्टेज में थी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, मैंने अपना ट्रीटमेंट शुरू तो कर दिया था लेकिन फिर भी मैं संतुष्ट नहीं थी।
मुझे मेरी दोस्त ने स्टार होम केयर के बारे में बताया जो घर पर लैब टेस्ट की सुविधा देने के साथ-साथ नर्सिंग सर्विस भी देते हैं। मैंने उसने कैंसर नर्सिंग की सर्विस ली थी। नर्स ने उझे मेरी बीमारी के बारे में समझाया साथ ही मुझे कैंसर से लड़ने के लिए हिम्मत भी दी। नर्स ने एकदम मेरी दोस्त की तरह साथ निभाया जिससे अब मेरी कैंसर की बीमारी खत्म हो चुकी है।स्टार होम केयर (Star Home Care)
किसी भी व्यक्ति को कैंसर से जुड़ी सेवा घर पर चाहिए हो तो वह हमारे +919999889489 नंबर पर फ़ोन कर सकता है। स्टार होम केयर ब्लड टेस्ट से लेकर नर्सिंग स्टाफ की सेवा आपके घर पर उपलब्ध करवाने में सक्षम है। हमारा स्टाफ प्रोफेशनल और ट्रेनड है जो आपकी समस्या के अनुसार आपकी मदद करने में सक्षम है।
FAQs
लिवर कैंसर क्या है?
लिवर कैंसर को हेपेटिक कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। लिवर कैंसर दो तरीकों से होता है। जिसमें पहला है कैंसर कोशिकों से शुरू होते हुए लिवर को डैमेज करता है। वही दूसरी ओर कैंसर लिवर में कहीं से भी शुरू होते हुए लिवर को डैमेज करता है। दोनों ही रूप में लिवर की कोशिकाएं धीरे-धीरे खत्म होने लगती है और लिवर काम करना बंद कर देता है।
क्या लिवर कैंसर का इलाज है?
लिवर कैंसर ठीक हो सकता है लेकिन वह आपकी स्टेज पर निर्भर करता है कि वह ठीक किया हो सकता है या नहीं? लिवर कैंसर का इलाज कई तरीकों से किया जाता सकता है। जैसे लिवर ट्रांसप्लांट, आबलेशन, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी।
लिवर कैंसर के क्या लक्षण है?
लिवर कैंसर के शुरुआती लक्षणों में पेट में सूजन, उल्टी होना, वजन अचानक से कम होना, मल और आँखों में सफ़ेदी आना, भूख कम लगना, स्किन पीली होना और पेट के ऊपरी भाग में दर्द महसूस करना आदि शामिल है।
कैंसर कैसे फैलता है?
कैंसर खून के द्वारा शरीर में फैलता है जिसमें प्राइमरी ट्यूमर के टिश्यूज टूटकर खून में मिल जाते हैं। खून के बहाव के साथ शरीर में फ़ैलने लगते हैं। इसके सिवा कैंसर एक्सटेंशन या इंवेजन के समय आस-पास के टिश्यूज में फैल जाता है।
संदर्भ
https://downloads.hindawi.com/archive/2008/384010.pdf
https://scholar.google.com/scholar?hl=en&as_sdt=0,5&qsp=2&q=cervical+cancer+in+hindi&qst=bb